परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे॥
इसमें भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि, “इस धरती पर साधुओं और सज्जनों के कल्याण के लिए और दुष्टों का विनाश करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं यानि श्रीहरि युगों युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।
इस श्लोक के ज़रिए भगवान कृष्ण अर्जुन को समझा रहे हैं कि जब-जब इस धरती पर धर्म की हानि होगी, जब भी धर्म का बंटवारा होगा, तब-तब अधर्म का विनाश करने के लिए ईश्वर धरती पर आएंगे। इसलिए हर इंसान को अधर्म से दूरी बनानी चाहिए।